Friday, November 20, 2009

परिंदा या दरिंदा






निर्दोष परिंदा हूँ मैं या कोई दरिंदा हूँ मैं,
मुझे अब तक समझ नहीं आया, अच्छा हूँ की गन्दा हूँ मैं.


कभी वेद-पुराण की बातें करूँ, गीता के ज्ञान की बातें करूँ.
हर सुबह-सवेरे उठकर मैंघंटों भगवान् की बातें करूँ.
पर शाम ढले ही मैखाने के द्वार मुझे बुलाते हैं,
पैमाने को होंठ लगाते ही सब वेद-पुराण भूल जाते हैं.


कभी तो साकी को सजदा करूँ, कभी खुदा का बन्दा हूँ मैं.
मुझे अब तक समझ नहीं आयाअच्छा हूँ की गन्दा हूँ मैं.


आँखों में हवस की चमक कभी, सीने में दबी कई इच्छाएं,
नफरत - वहशत हैं मचल रहीं, नहीं इनकी कोई सीमाएं.
और कभी फिर करुणा के सागर सा मैं बन जाता हूँ,
हर जीव-मात्र से प्रेम-दया का संदेस सुनाता हूँ.


कभी तो घ्रणा से भरा हुआ, कभी प्यार में अन्धा हूँ मैं,
मुझे अब तक समझ नहीं आयाअच्छा हूँ की गन्दा हूँ मैं.


कभी लबों से उगलूं अंगारे, कभी नग्मे गाता फिरता हूँ,
आशियाँ बनता और कभी बस्तियां जलाता फिरता हूँ.
साधू-शैतान का संगम मैं, पाप और पुर्णय की छाया हूँ.
कभी आशाओं से आलोकित, कभी भय का गहरा साया हूँ.


कभी सब मुझ पर हैं गर्व करें, कभी खुद पर शर्मिंदा हूँ मैं.
मुझे अब तक समझ नहीं आयाअच्छा हूँ की गन्दा हूँ मैं.

Thursday, October 22, 2009

बातें

ख्वाबों में मेरे कुछ लम्हें आया-जाया करते हैं.


सर्द शबों के वो मंज़र
था तेरा घर या मेरा घर
कुछ याद नहीं पर हम अक्सर
बैठे हुए उस दहलीज़ पर
हाथों में तेरा चेहरा लिए
आँखों में ख्वाब सुनहरा लिए
तुझे पास बिठाने की खातिर
यूँ ही बात बढ़ाने की खातिर
करते रहते थे कुछ बातें
यूँ ही कट जाती थीं रातें


हम आज भी वो बातें सब रातों को सुनाया करते हैं........

Saturday, October 17, 2009

तुम और दिवाली



मेरी आँखों का नूर हो तुम,
सूरज की लाली तुमसे है.
मेरे जीवन की ज्योत हो तुम,
मेरी दिवाली तुमसे है.

Monday, October 5, 2009

क्यूँ मेरी दीवानी तू



तुझे मुझसे है क्या हासिल,
ए जां बता दे मुझको.
क्यूँ मेरी दीवानी तू,
ये जूनून-ए-इश्क क्या है.


ये सोये-सोये दिन और
ये जागी-जागी रातें,
ये गम-ए-हिज्र क्या है,
लुत्फ़-ए-विसाल क्या है.


क्यूँ लगी हैं मेरी खातिर,
यूँ दर पे तेरी आँखें,
तुझे क्या पता है मेरा,
यह एतबार क्या है.


क्यूँ बरसों की आस हमको,
जब पल की खबर नहीं है.
क्यूँ ख्वाब देखें हम फिर,
ख्वाबों की बिसात क्या है.


गर तुमको मोहब्बत हमसे, 
तो अपने दिल से पूछो.
है खुद पे भी भरोसा,
या बस खुदा का आसरा है.

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