तुझे मुझसे है क्या हासिल,
ए जां बता दे मुझको.
क्यूँ मेरी दीवानी तू,
ये जूनून-ए-इश्क क्या है.
ये सोये-सोये दिन और
ये जागी-जागी रातें,
ये गम-ए-हिज्र क्या है,
लुत्फ़-ए-विसाल क्या है.
क्यूँ लगी हैं मेरी खातिर,
यूँ दर पे तेरी आँखें,
तुझे क्या पता है मेरा,
यह एतबार क्या है.
क्यूँ बरसों की आस हमको,
जब पल की खबर नहीं है.
क्यूँ ख्वाब देखें हम फिर,
ख्वाबों की बिसात क्या है.
गर तुमको मोहब्बत हमसे,
तो अपने दिल से पूछो.
है खुद पे भी भरोसा,
या बस खुदा का आसरा है.
4 comments:
क्यूँ बरसों की आस हमको,
जब पल की खबर नहीं है.
bahut badia..!!!
really ......awesome ...........mind,body,andspirit woould unite-this union creates the love you have to give
सुन्दर लगा आपका ब्लॉग देखकर . बधाई स्वीकार करे
पंकज
बहुत सुन्दर लखते है आप । दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।
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कुछ न कहने से भी छिन् जाता है एजाज़-ए-सुख़न,
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है.