Saturday, October 17, 2009

तुम और दिवाली



मेरी आँखों का नूर हो तुम,
सूरज की लाली तुमसे है.
मेरे जीवन की ज्योत हो तुम,
मेरी दिवाली तुमसे है.

5 comments:

Chandan Kumar Jha said...

बहुत खूब !!!!!!!!

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!


सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'

Mishra Pankaj said...

बहुत खूब
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

sonal said...

बहुत सुन्दर लिखा है....

Randhir Singh Suman said...

nice

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कुछ न कहने से भी छिन् जाता है एजाज़-ए-सुख़न,
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है.

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