क़दम-क़दम पर इस आँगन के, बिखरी हुई हैं जिसकी निशानी,
परियों सी एक शहज़ादी थी, सपनों का एक राजकुंवर था,
दिल से दिल की बातें कहता, आँखों में बैठा प्रेम-भंवर था.
चाहत की थामे हुए डोरी, राजकुंवर की हो गयी गोरी,
तारों की छाँव तले मोहब्बत, यूँही पनपी चोरी-चोरी.
गाँव-गाँव फिर बातें फैलीं, पल-पल कर मुलाकातें फैलीं,
एक दूजे के साथ गुज़ारे, सात जनम के सात इशारे,
यही जगह थी, यही दौर था,
यहीं कहीं मिला करते थे,
एक दीवाना, एक दीवानी.....
आओ सुनाऊँ तुमको फिर से, वही पुरानी प्रेम कहानी.
12 comments:
शहद सी मीठी कविता...
Very Good. A nice photo. Lots of Love. Please do come to my blog....lifemazedar.blogspot.con
Sincerely
Chandar Meher
very nice.......
स्वागत है आपका. कवितायें अच्छी लगी.
- (Sulabh Satrangi)
jammu kee khubsairat fija ka ahsah hai yahan
narayan narayan
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. सतत लेखन के लिए शुभकामनाएं.
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Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
लाजवाब प्रेम कहानी । बेहद सुन्दर रचना । आभार
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
सुन्दर कविता के लिये बधाई लें। भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.मेरे ब्लोग पर आपकी दस्तक का इन्तजार है।
बहुत सुन्दर रचना ।
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
DIL KO CHU GAI
moon
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कुछ न कहने से भी छिन् जाता है एजाज़-ए-सुख़न,
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है.