Tuesday, September 22, 2009

वही पुरानी प्रेम कहानी

क़दम-क़दम पर इस आँगन के, बिखरी हुई हैं जिसकी निशानी,
आओ सुनाऊँ तुमको फिर से, वही पुरानी प्रेम कहानी.





परियों सी एक शहज़ादी थी, सपनों का एक राजकुंवर था,
दिल से दिल की बातें कहता, आँखों में बैठा प्रेम-भंवर था.
चाहत की थामे हुए डोरी, राजकुंवर की हो गयी गोरी,
तारों की छाँव तले मोहब्बत, यूँही पनपी चोरी-चोरी.
गाँव-गाँव फिर बातें फैलीं, पल-पल कर मुलाकातें फैलीं,
एक दूजे के साथ गुज़ारे, सात जनम के सात इशारे,
यही जगह थी, यही दौर था,
यहीं कहीं मिला करते थे,
एक दीवाना, एक दीवानी.....
 आओ सुनाऊँ तुमको फिर से, वही पुरानी प्रेम कहानी.

12 comments:

अपूर्व said...

शहद सी मीठी कविता...

Chandar Meher said...

Very Good. A nice photo. Lots of Love. Please do come to my blog....lifemazedar.blogspot.con
Sincerely
Chandar Meher

नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति मण्डी (हिमाचल प्रदेश) said...

very nice.......

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

स्वागत है आपका. कवितायें अच्छी लगी.

- (Sulabh Satrangi)

Jayram Viplav said...

jammu kee khubsairat fija ka ahsah hai yahan

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

Amit K Sagar said...

चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. सतत लेखन के लिए शुभकामनाएं.

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Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!

Chandan Kumar Jha said...

लाजवाब प्रेम कहानी । बेहद सुन्दर रचना । आभार

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

गुलमोहर का फूल

रचना गौड़ ’भारती’ said...

सुन्दर कविता के लिये बधाई लें। भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.मेरे ब्लोग पर आपकी दस्तक का इन्तजार है।

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर रचना ।

ढेर सारी शुभकामनायें.

SANJAY
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

संजय भास्‍कर said...

DIL KO CHU GAI

श्याम जुनेजा said...

moon

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कुछ न कहने से भी छिन् जाता है एजाज़-ए-सुख़न,
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है.

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